क्या जीवन मे सफलता ही सब कुछ है ? असफलता में भी जीवन की सफलता का राज छुपा होता है । उसी राज को जानने के लिए पढ़िए असफलता का महत्व


" राघव कहाँ है भाग्यवान ? दिख नही रहा । " शर्मा जी ने घर मे घुसते ही पूछा

" गया होगा अपने दोस्तों के साथ आता ही होगा " रसोई में काम करते हुए शर्मा जी की पत्नी ने जवाब दिया ।

" आज उसका रिजल्ट आया है , वो अपने डॉक्टर साब है ना उनकी बेटी मैरिट में आयी है । तुम्हें बता कर गया था क्या राघव अपने रिजल्ट के बारे में ? "

" मुझे कौन क्या बताता है , बाप बताए तो बेटा भी बताए । "

" क्या मैं तुम्हे कुछ नही बताता , अरे तुमसे शादी की थी तो चार महीने पहले ही बता दिया था कि किस दिन बारात लेकर आऊंगा । जब मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला ही तुम्हे बताया था और क्या बताऊँ तुम्हे भाग्यवान " शर्मा जी ने अपनी पत्नी को छेड़ते हुआ कहा ।

" अब तुमसे बातों में कौन जीते जी । खाना खा लो जी तैयार हो गया है । "

" नही आज तो राघव के साथ ही खाऊंगा "

" वो तो पता नही कब तक आएगा तब तक क्या भूखे ही बैठे रहोगे ? "

" हाँ आज सब एक साथ ही खाना खाएंगे भाग्यवान "

राघव का इतंजार करते - करते रात के दस बज चुके थे लेकिन राघव अभी तक घर नही लौटा था । आज तक कभी ऐसा नही हुआ था की राघव इतनी देर तक घर से बाहर रहा हो । शर्मा जी और उनकी पत्नी को चिंता होने लगी तो शर्मा जी पत्नी के बार - बार कहने पर राघव को ढूंढने घर से निकले लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बाद भी राघव का कहीं पता नही चला।  उसके दोस्तो से भी पूछा  लेकिन किसी ने भी राघव को नही देखा था।

" क्या हुआ राघव मिला क्या ? " रोते हुए राघव की माँ ने हताश लौटे शर्मा जी से पूछा

" नही , हर जगह ढूंढ चुका हूं उसके दोस्तों से भी पूछा लेकिन राघव का कहि कोई पता नही चला । पता नही कहाँ चला गया । " शर्मा जी की आवाज में उन आंसुओ को साफ देखा जा सकता था जो आंखों से बह नही रहे थे।

" आज तक तो उसने ऐसा कुछ नही किया फिर आज बिना बताए कहाँ चला गया । हे भगवान मेरे बेटे की रक्षा करना "

" रोने से क्या होगा भाग्यवान , आजाएगा हमारा राघव चला गया होगा कहि घूमने ।

शर्मा जी और उनकी पत्नी ने पूरी रात आंखों ही आंखों में निकाल दी राघव के इंतजार में । पल - पल गुजरता हरपल जैसे सालो का सितम हो ऐसे गुजर रहा था। उनका इंतजार खत्म हुआ सुबह चार बजे जब बदहवास सी हालात में राघव घर लौटकर आया ।

" क्या हुआ राघव बेटा ये क्या हालत बना रखी है तुमने अपनी और कहाँ चले गए थे तुम बिन बताए । कहाँ - कहाँ नही ढूंढा हमने तुम्हे । " शर्मा जी एक ही सांस में बोल गए । बोलते - बोलते उनका गला रुंध गया आंखों से आँसू बहने लगे। राघव की माँ ने तो उसे ऐसे गले लगा लिया जैसे उसकी सारी समस्याओं और दुखों को अपने अंदर ही समाहित कर लेना चाहती है ।

" तुम बोल क्यो नही रहे बेटा क्या बात है ? कुछ तो बताओ "

" कुछ नही पापा , मैं जीना नही चाहता "

" क्या बोल रहे हो राघव तुम , ऐसा हो क्या गया तुम्हारे साथ जो तुम इस प्रकार की बाते कर रहे हो "

" मैं सच बोल रहा हूँ पापा मैंने आपके सपने तोड़ दिए आपकी गर्दन नीची कर दी । आज मै 12 वी क्लास में फैल हो गया । "

" बस इतनी सी बात पर तुम अपनी ज़िंदगी खत्म करना चाहते हो ? क्या तुम्हारी ज़िंदगी का फैसला कुछ कागज के टुकड़े करेंगे ? क्या ज़िंदगी कितनी होगी ये परीक्षा में आने वाले अंक तय करेंगे ? "

" मैं आपका गुनहगार हूँ पापा । कल जब सब आपसे मेरे रिजल्ट के बारे में पूछेंगे तब उनको देने के लिए आपके पास कोई जवाब नही होगा और आपके पास वहाँ से गर्दन झुका कर निकलने के अलावा कोई रास्ता नही होगा। "

" लोग क्या कहेंगे उससे मुझे कोई फर्क नही पड़ता क्योकि लोगो का काम सिर्फ कहना है और वो हमेशा कहते ही रहेंगे चाहे तुम अच्छा करो या बुरा । वहाँ मुझे कोई दुःख या पीड़ा नही होती और ना ही मेरी गर्दन नीची होती लेकिन आज तुमने जो किया है जो करने का सोचा है और जो करने का विचार तुम्हारे मन मे आया है उसने मुझे सच मे अंदर से बुरी तरह से हताहत कर दिया है । मैं अपनी ही नजरो में गिर गया कि कहीं न कहीं मेरे ही संस्कारो में कमी रह गयी जो तुम्हे परीक्षा में फैल होना और पास होना ही ज़िंदगी लगी । आज सच मे तुमने मेरे सर झुका दिया राघव  "

" मैं फेल कैसे हो गया ? मुझे सफलता क्यो नही मिली ? लोग क्या - क्या पूछेंगे आपको ? "

" लोग कुछ नही कहेंगे और मुझे इस बात से कोई फर्क भी नही पड़ता क्योकि तुम मेरे बेटे हो लोगो के नही । तुम्हे मेरी अपेक्षाएं पूरी करनी है लोगो की नही । तुम्हे हमारी खुशी का ख्याल रखना है या लोगो की खुशी का ? "

" मुझे लोगो से पहले माँ - पापा आपकी खुशी ज्यादा प्यारी है "

" तो हमारी खुशी यही है कि तुम हमेशा हमारी आंखों के सामने हंसते - खेलते रहो और रही बात सफलता और असफलता की तो वो सब ज़िंदगी का एक हिस्सा है और असफलता उन्हें ही मिलती है जिनमे उन असफलता से सीख लेकर सफलता प्राप्त करने का मद्दा होता है और असफलता उन्हें ही मिलती है जिनसे भगवान कुछ अलग और हटकर करवाना चाहता हो तुम्हे तो खुश होना चाहिए की भगवान ने तुम्हें अपने किसी बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए चुना है । तुम्हे अपनी असफलता से सीख लेनी चाहिए और इसे गगनचुम्बी सफलता में बदलना चाहिए । हो सकता है भगवान तुमसे 12 वी क्लास विज्ञान विषय से नही करवाना चाहता हो इसलिए तुम्हे अपने आप से पूछना चाहिए कि तुम्हे क्या पसन्द है और किस दिशा में तुम्हे आगे बढ़ना चाहिए । अपने दोस्तो और लोगो को देख कर भेड़चाल से अपने महान लक्ष्य तय मत करो । तुम्हारा लक्ष्य क्या है ये तुम्हे अपने अंतर्मन से पूछना चाहिए । महान लक्ष्य पूरा करने के लिए जरूरी नही है कि तुम 12 वी की पढ़ाई भी करो अगर तुम्हारा लक्ष्य बिना आगे की पढ़ाई किये पूरा हो सकता है तो तुम्हे उसे प्राप्त करना ही चाहिए । इस दुनिया मे जितने भी महान लोग है जिन्हें लोग याद करते है उनमे से ज्यादातर ने अपनी पढ़ाई कभी पूरी नही की । अगर तुमने अपने अंतर्मन से अपने लक्ष्य के बारे में पूछा और उसकी तरफ एक कदम बढ़ाया तो भगवान स्वतः ही मंजिल को दो कदम तुम्हारी तरफ ले आएंगे इसलिए अपने आप पर विश्वास रखते हुए अपने लक्ष्य को ढूंढो और उसे फतह कर लो ताकि मैं इस पूरी दुनियां को बता सकू की कागजो पर लिखे कुछ अंक ज़िंदगी तय नही कर सकते वो ज़िंदगी का हिस्सा हो सकते है जिंदगी नही । "

" मुझे माफ़ कर दो पापा मैंने सच मे फेल होकर नही आपका दिल दुखा कर आपका सर नीचा कर दिया है । आज आपने मुझे मेरी ज़िंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया है । आपने मुझे मेरे मन के अनुसार ज़िंदगी जीने की प्रेरणा दी है ना कि भेड़चाल से चलती दुनिया का अनुसरण करने की । मैं आपको  वो मौका जरूर दूंगा जब आप गर्व के साथ अपना सर ऊंचा करके घोषणा कर सके कि अंक ज़िंदगी नही होते वो तो जिंदगी का हिस्सा होते है । आप कह सके कि असफलता तो सफ़लता की एक महान सीढ़ी है जो आपको भगवान द्वारा अपने किसी महान लक्ष्य की पूर्ति के लिए दी गयी है । "  कहते - कहते राघव का गला रुंध गया और वो अपने पिता के चरणों बैठ गया ,लेकिन शर्मा जी उसे अपने गले से लगा लिया । आज शर्मा जी ने अपने बेटे में एक और संस्कार "संघर्ष " का बीजारोपण कर दिया था और राघव ने भी ज़िंदगी के एक महत्वपूर्ण अध्याय को आत्मसात कर लिया था ।


Comments