पढ़िए एक शानदार कहानी जिंससे आपको लगेगा पता कि आपका ego कैसे आपके रिश्तों को खत्म कर रहा है ।



" मैं शादी के बाद भी नौकरी करूंगी "

" हाँ , तुम शादी के बाद भी नौकरी कर लेना मुझे कोई परेशानी नही है । "

" थैंक यू सो मच अजय , आई लव यू । तुम कितने स्वीट हो "

" मैं कल ही अपनी नौकरी से रिजाइन कर देता हूँ "

" क्यो ? "

" क्योकि जिसकी बीवी कमाने वाली हो तो उसे काम करने की क्या जरूरत "

अजय ने एक जोर का ठहाका लगाया

" तुम कितने मतलबी हो अजय "

" अगर तुम काम पर नही जाओगे तो मैं भी नही जाऊंगी काम पर "

" अच्छा है फिर भी मुझे ही फायदा है "

" कैसे "

" क्योकि मुझे तुमसे प्यार करने का बहुत सारा समय जो मिल जाएगा "

अजय के चेहरे पर प्यार भरी मुस्कान फैल गयी ।

" अब तो पक्का हो गया तुम ना मतलबी ही नही एक नंबर के ठरकी भी हो "

" अच्छा अपनी बीवी से प्यार करने वाला ठरकी होता है तो फिर मैं पड़ोसी की बीवी से प्यार कर लूंगा और शादी तुमसे "

" सोच भी मत लेना ऐसा जान नही ले लूं उस कु....... "

" क्यो जान ले लोगी उसकी ? तुम गाली भी निकालती हो "

" क्योकि तुम सिर्फ मुझ से प्यार कर सकते हो अगर किसी के बारे में सोचा तो तुम तो गए काम से और तुम्हारे साथ - साथ बेचारी उस पड़ोसन को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ जायेगा ,मैं गाली ही नही देती और भी बहुत कुछ करती हूं  "

" ओहो ऐसा क्या "

" बिल्कुल प्यार जो करती हूं तुम्हे । तुम्हारे पास आने , तुम्हे देखने , तुम्हे छूने और प्यार करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ मेरा है । मैं तो भगवान से दुआ करती हूं अगर किसी के दिलो ओ दिमाग मे भी तुम्हारा ख्याल आये तो वो पागल हो जाये और उसका हार्ट फेल हो जाए "

" तुम किसी का इतना बुरा कैसे सोच सकती हो नेहा ? "

" मैं तो इस से भी बुरा सोच सकती हूं अगर तुम्हारे भी दिल ओ दिमाग मे मेरे अलावा किसी और का ख्याल आये तो तुम्हारे साथ भी ऐसा ही हो "

" हे भगवान किससे मेरी शादी करवाने वाले है आप मैं तो सोचता था कि ये मुझे बहुत प्यार करती है लेकिन पता नही था कि इतना प्यार करती है कि मेरा ही बुरा चाहने लगे "

" ऐ भगवान से क्या मेरे से बात करो अगर मेरे से शादी नही हुई तो किसी से भी तुम्हारी शादी नही होगी अकेले ही पूरी ज़िंदगी बितानी पड़ेगी "

" किसी और से शादी क्यो नही होगी ?"

" क्योकि मैंने भगवान से पहले ही बात कर ली है और ये बात तो पहले ही कह चुकी हूं कि उसका बुरा हो जाएगा ।"

" हाँ ये बात तो मैं भूल ही गया था "

" अजय अब घर चले कॉलेज की छुट्टी हुए काफी समय हो गया है । मुझे भी घर जाना है नही तो मम्मी की डांट पड़ेगी मुझे  "

" आओ तुम्हे मैं घर तक छोड़ देता हूँ "

" नही , आज मैं अपनी सहेली रीना के साथ घर जाऊंगी । उसे काम था मेरे घर तो तुम चलो लेकिन घर जाकर पहले खाना खाना और मुझे कॉल करके बताना उसके बाद ही मैं खाना खाऊँगी "

" क्या है नेहा तुम भी ना रोज - रोज "

" रोज - रोज नही ये जिंदगी भर रहने वाला है । अभी तो कह ही रही हूं तुम्हारे पास आने के बाद तो जबरदस्ती ठूँस - ठूँस कर खिला दूंगी , ठीक है बाय लव यू "

" ओके बाय लव यू ठू "

बैठे - बैठे अजय कब अपने अतीत के झरोखे से झांकने लगा और कब बीती यादों में खो गया पता ही नही चला । उन दिनों को याद करके अजय की आंखे कब एक शान्त बहता हुआ झरना बन गयी उसे पता ही नही चला उसे पता तब चला जब अजय के नौकर रामू ने आकर चाय पकड़ाई

" साब आप रोज - रोज क्यो रोने लगते है । क्या मेरी सेवा में कोई कमी है ? अगर ऐसा है तो मैं आज ही यहाँ से चला जाता हूँ आप किसी और को काम के लिए रख लेना "

" नही रामू ऐसी कोई बात नही है एक तुम ही तो हो मेरी तन्हाई का सहारा "

" तो फिर बात क्या है ? आप मुझे बताते क्यो नही किस बात से आप इतना दुखी रहते है ? आपने शादी क्यो नही की आज तक ?"

" ऐसी कोई बात नही है रामू ज़िंदगी मे कई बार कुछ बाते दिल की गहराई में इतना बैठ जाती है कि वहाँ घाव हो जाता है जो समय बीतने के साथ - साथ एक लाईलाज नासूर बन जाता है जिस से छुटकारा सिर्फ दिल की धड़कने रुकने पर ही हो सकता है "

" नही साब ऐसा नही होता वो लाईलाज नासूर इसलिए बन जाता है क्योंकि हम किसी को अपने दिल की बात बता नही पाते है , अगर हम अपने दिल मे गहराई तक दबे उस गुब्बार को निकाल दे तो उस नासूर का ईलाज सम्भव है और आज आपको बताना ही होगा मुझे वो सब जो आप किसी से कह नही पाते । आप जब तक मुझे नही बताएंगे तब तक मैं खाना नही खाने वाला "

" चलो आज मैं तुम्हे सब कुछ बता ही देता हूं । मैं भी काफी समय से किसी को अपने दिल की बात बताना चाहता था लेकिन किसी ने मुझ पर इस तरह दबाव नही डाला , जितना तुम रोज डालते हो "

" आप किसी भी प्रकार ठीक हो जाए मेरी तो प्रभु से ये ही विनती है उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं वो सब करने को तैयार हूं "

" ठीक होने का तो पता नही रामू लेकिन अपने दिल की बात आज मैं तुम्हे जरूर बताऊंगा । रामू मैं शादीशुदा हूँ और 25 साल पहले मेरी शादी हो गयी थी । जिससे शादी हुई थी उससे बिछड़े हुए लगभग बीस साल हो चुके है , मैं उससे इतना प्यार करता हूँ कि उसके जाने के बाद आज तक मैंने दूसरी शादी नही की और रोज उसके आने का इंतजार करता हूँ , और आंखों से बहते ये आंसू बीस साल पहले की गलती को धोने का निष्फल प्रयास करते है "

" आप शादीशुदा है !!!!!!!! मुझे विश्वास नही होता मालकिन कहाँ रहती है । ऐसी कौनसी गलती थी जिसके कारण आप दोनों एक दुसरे से दूर होने को मजबूर हो गए । आज आप मुझे वो सब अपने परिवार का हिस्सा मानकर बताइए एक नौकर समझ कर नही साब शायद मैं आपके कुछ काम आ सकू  "

" हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे । वो मुझे दुनियां में सबसे ज्यादा प्यार करती थी और मैं तो अपनी ज़िंदगी की कल्पना भी उसके बिना नही करता था । हम दोनों ने शादी की   जैसा हम चाहते थे सब कुछ वैसा ही हुआ था । हम दोनों के परिवार भी इस शादी से खुश थे। नेहा को अपनी बहू के रूप में पाकर मेरी माँ की खुशी तो पूछो ही मत , इतनी की मैं बयां नही कर सकता । सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था । कुछ समय बाद मेरी सरकारी प्रोफेसर की नौकरी भी लग गई थी । उससे घर मे खुशियां और बढ़ गई । नेहा भी एक बैंक में काम करती थी । पूरे दिन बैंक में काम करके आने के बाद भी एक सफल गृहणी के समान पूरे घर को सम्हाल लेती थी । सबको तय समय पर उनकी आवश्यकता की पूर्ति भी नेहा बखूबी करती थी । मेरा इतना ख्याल रखती थी कि मुझे गर्मी के मौसम में गर्मी सर्दी में सर्दी और बारिस में पानी भी क्यो लग जाये । पूरे दिन बैंक में बिजी होने के बाद भी मेरा लंच होते ही खाना खाने का कॉल आजाता और तब तक नही कटता जब तक मैं खाना नही खा लेता । मुझे क्या चाहिए ये नेहा बिना मेरे बोले मेरे हाव भाव से ही पहचान लेती थी ।
सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था ज़िंदगी मे खुशियां ही खुशियां थी लेकिन पता नही हमारी खुशियों पर किसकी नजर लग गई ।
नेहा शादी के बाद 5 साल तक बच्चा नही चाहती थी और मुझे भी कोई परेशानी नही थी क्योकि तब तक हम दोनों इतना पैसा बचा लेते की आने वाली एक नन्ही जान की परवरिश अच्छे से कर सके ।
लेकिन मेरी माँ को बच्चा चाहिए था । उनकी लालसा और भी ज्यादा बढ़ जाती जब पड़ोसी उन्हें उलाहना देते । कुछ समय तक मैं माँ की बातों को टालता रहा , लेकिन एक दिन बात हद से आगे निकल गयी । मैं भी रोज - रोज माँ को समझाते समझाते थक चुका था और नेहा अपनी बात से जरा भी झुकने को तैयार नही थी । इस कारण कुछ समय से हमारे बीच झगड़ा चल रहा था। उस दिन मैंने गुस्से में नेहा को घर से बाहर निकाल दिया और कहा कि मुझे अपना चेहरा तब ही दिखाना जब तुम मुझे बच्चा दे सको । उस दिन नेहा मुझे हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई ना मैंने उसे रोकने की कोशिश की और ना ही उसने रुकना चाहा । तब से आज तक मैं उसकी याद में और उसके इंतजार में ही आँसू बहा रहा हूँ। "

" क्या आपने उन्हें कभी कॉल करके नही पूछा ? "

" नही रामू जब वो मुझे इतना प्यार करती थी तो उसे खुद ही लौट कर आना चाहिए था कि मैं उसके बिना कैसे जिऊंगा । "

" जी साब "

                      ०   कुछ दिनों के बाद   ०

" साब एक बात बोलूं "

" हां बोलो रामू क्या बात है ? कुछ दिनों से तुम आये भी कहाँ चले गए थे । घर मे सब खैरियत तो है ? "

" जी साब घर मे सब ठीक है । वो मैं कुछ दिनों से नेहा मैडम को ढूंढ रहा था ताकि जान सकू वो कैसे है । उनकी खैरियत ही आपको ठीक करने के लिए काफी है ये ही सोचकर मैं कुछ दिन नेहा मैडम को ढूंढ कर उनके घर नौकरी करने चला गया था । मुझे माफ़ कर देना साब लेकिन मेरे से आपकी ये हालात देखी नही जाती , लेकिन उनका हाल भी बिल्कुल आपके जैसा ही है वो भी आपके आने के इंतजार में दरवाजे पर टकटकी लगाए हुए बैठी रहती है और आपके कॉल के इंतजार में मोबाइल को देख कर आंसुओ का सैलाब बहाती रहती है । आज आप दोनों की स्तिथि ये है कि " ना बोले तुम न मैंने कुछ कहा " । आप दोनों एक - दूसरे का इंतजार कर रहे है लेकिन दोनों में से एक भी झुकने को तैयार नही है । अगर आप दोनो में से किसी ने भी उस दिन एक कदम आगे बढ़ाया होता और अगर आज भी आप दोनों में से कोई भी एक कदम अपने प्यार को बचाने के लिए बढ़ा ले तो आप दोनों की ज़िंदगी फिर से खुशियों से फिर भर जाएगी । आपसे विनती है साब आप ही एक कदम आगे बढ़ा लीजिए बस एक कदम बढ़ा लीजिए और अपने प्यार को बचा लीजिए "

कहते - कहते रामू की आंखों से आंसू बहने लगे और अजय ने भी मोबाइल उठा कर एक कदम आगे बढ़ाने का फैसला कर ही लिया था ।

                                   ०००००

अगर ज़िंदगी मे हम अहंकार को छोड़कर एक दूसरे के लिए थोड़ा भी झुक जाए तो जीवन मे हमेशा प्यार के साथ खुशियों का अंबार लगा रहेगा ।


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