पूरा नाम - कुप्पाहाली सीतारमैया सुदर्शन जी
जन्म - 18 जून, 1931
जन्म भूमि - रायपुर, मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़)
मृत्यु - 15 सितंबर, 2012
मृत्यु स्थान - रायपुर, छत्तीसगढ़
अभिभावक - सीतारमैया
शिक्षा - बी.ई
विद्यालय - सागर विश्वविद्यालय, जबलपुर
नागरिकता - भारतीय
अन्य जानकारी -
सुदर्शन जी मूलतः तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर बसे कुप्पहल्ली (मैसूर) ग्राम के निवासी थे। कन्नड़ परम्परा में सबसे पहले गांव, फिर पिता और फिर अपना नाम बोलते हैं। के एस सुदर्शन के पिता श्री सीतारामैया जी वन-विभाग की नौकरी के कारण अधिकांश समय मध्यप्रदेश में ही रहे और वहीं तत्कालीन मध्यप्रदेश (मौजूदा छत्तीसगढ़) की राजधानी रायपुर ज़िले में एक ब्राह्मण परिवार में 18 जून, 1931 को श्री सुदर्शन जी का जन्म हुआ।
आजीवन अविवाहित रहे सुदर्शन के परिवार में उनसे छोटी बहन वत्सला, बहनोई, छोटा भाई रमेश और भाभी हैं। तीन भाई और एक बहिन वाले परिवार में सुदर्शन जी सबसे बड़े थे।
शिक्षा सुदर्शन की प्रारंभिक शिक्षा रायपुर, दामोह, मंडला और चंद्रपुर में हुई। महज 9 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली बार आरएसएस शाखा में भाग लिया। उन्होंने वर्ष 1954 में जबलपुर के सागर विश्वविद्यालय (इंजीनिरिंग कालेज) से दूरसंचार विषय (टेलीकाम/ टेलीकम्युनिकेशंस) में बी.ई की उपाधि प्राप्त कर वो 23 साल की उम्र में पहली बार सुदर्शन आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बने।
संघ में परंपरा है कि पूर्णकालिक प्रचारक विवाह नहीं करते हैं। उन्होंने भी इस परंपरा का निर्वाह करते हुए सारा जीवन देश और संगठन को समर्पित कर दिया। सर्वप्रथम उन्हें रायगढ़ भेजा गया।
सुदर्शन ने 10 मार्च 2000 को नागपुर में अखिल भारतीय प्रतिनधि सभा के उद्घाटन सत्र में तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया से आरएसएस प्रमुख के रूप में दायित्व ग्रहण किया था. खराब स्वास्थ्य के चलते बाद में उन्होंने यह पद छोड़ दिया था.
छह दशक तक आरएसएस प्रचारक के रूप में काम करने वाले सुदर्शन वर्ष 2000 से 2009 तक इस संगठन के सरसंघचालक रहे. कर्नाटक के मांड्या जिले के कुप्पाली गांव निवासी सुदर्शन संघ कार्यकर्ताओं के बीच शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जाने जाते थे.
सुदर्शन ने 10 मार्च 2000 को नागपुर में अखिल भारतीय प्रतिनधि सभा के उद्घाटन सत्र में तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया से आरएसएस प्रमुख के रूप में दायित्व ग्रहण किया था. खराब स्वास्थ्य के चलते बाद में उन्होंने यह पद छोड़ दिया था.
छह दशक तक आरएसएस प्रचारक के रूप में काम करने वाले सुदर्शन वर्ष 2000 से 2009 तक इस संगठन के सरसंघचालक रहे. कर्नाटक के मांड्या जिले के कुप्पाली गांव निवासी सुदर्शन संघ कार्यकर्ताओं के बीच शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जाने जाते थे.
वह भाजपा नेताओं के खिलाफ विवादात्मक टिप्पणियों के लिए भी जाने जाते थे. 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद सुदर्शन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं को युवा नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.
सुदर्शन दक्षिण भारत से पहले आरएसएस प्रमुख थे. उन्होंने आर्थिक संप्रभुता और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर जोर दिया।
के एस सुदर्शन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पाँचवे सरसंघ चालक थे।मार्च 2009 में मोहन भागवत जी को छठवाँ सरसंघचालक नियुक्त कर स्वेच्छा से पदमुक्त हो गये।
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