सायरन बजाते हुए तेज रफ्तार के साथ एक एम्बुलेंस बॉयज हॉस्टल से निकली । बॉयज होस्टल में चारो तरफ़ अफरा - तफरी मची हुई थी । पुलिस ने होस्टल को अपने कब्जे में ले लिया था । पुलिस ने आदित्य के रूम को पूरी तरफ से जांच लिया था , लेकिन कमरे में ऐसा कुछ भी नही मिला जिस से ये स्पष्ट हो सके कि आदित्य ने ऐसा क्यों किया ।
पुलिस ने होस्टल में उसके दोस्तों ने भी पूछताछ की ---
" आदित्य तो बहुत अच्छा लड़का था , फिर उसने आत्महत्या करने की कोशिश क्यो की ??? "
" आदित्य तो पढ़ने में भी अच्छा था "
" उसके तो मार्क्स भी अच्छे आते थे "
" किसी ने उसे परेशान भी नही देखा था "
" वो तो हमेशा खुश रहने वाला लड़का था । खुद भी हंसता था और सबको भी हंसाता था । "
" अरे कल ही तो उसने सेमेस्टर रिजल्ट में कॉलेज टॉप किया है "
सब आपस मे बाते कर रहे थे। पुलिस को ऐसा कुछ नही मिला , जिस से उसके दोस्तों पर या होस्टल के किसी भी व्यक्ति पर शक किया जा सके।
चारो तरफ एक ही चर्चा थी , आदित्य ने ऐसा कदम क्यो उठाया ? आखिर ऐसा क्या हो गया था जो उसे ऐसा करना पड़ा । चारो तरफ प्रश्न ही प्रश्न थे , लेकिन जवाब किसी के पास नही था।
सब अपने अपने हिसाब से अनुमान लगा रहे थे । लेकिन सच्चाई क्या है कोई नही जानता था।
०००००
" आदित्य की पूरी कॉल डिटेल मुझे मेरी टेबल पर चाहिए अभी "
" जी सर , मैंने मोबाइल कंपनी से कॉल डिटेल मंगवा ली है । "
" उसके सभी दोस्तों पर नजर रखो और हाँ उसके रूममेट पर जरूर नजर रखना । "
" जी सर "
" उसके सभी दोस्तों और जिससे उसने 24 घंटे में बात की है उनकी भी कॉल डिटेल मंगवाओ "
" जी सर "
" सबके फ़ोन कॉल भी सर्विलांस पर रखो "
" जी सर "
" किसी पर भी शक हो तो उसे तुरन्त उठा कर कढ़ाई के साथ पूछताछ करो । कातिल को पकड़ने का एक भी मौका छूटना नही चाहिए। "
" जी सर , सर इनके अलावा और कुछ जानकारी भी निकालनी है क्या ? "
" नही , तुम्हे क्या लगता और क्या जानकारी मंगवानी चाहिए ?"
" सर , मुझे लगता है कि हमे एक बार होस्टल के सीसीटीवी भी देखने चाहिए "
" गुड जॉब , ठाकुर ... हाँ मंगवा लो शायद हमे कातिल वही मिल जाए '"
पुलिस इंस्पेक्टर सन्तोष और हवलदार ठाकुर आपस मे चर्चा करते हुए होस्टल से बाहर पुलिस जीप तक पहुचे ।
" जो भी जानकारी मिले मुझे तुरन्त बताना "
" जी सर "
इतना कह कर इंस्पेक्टर गाड़ी में बैठ कर चल दिए ।
०००००
आई सी यु की तरफ जाने वाले गलियारे में काफी भीड़ थी । आदित्य को सीधे आई० सी० यु० में ही लाया गया था क्योंकि उसकी हालत नाजुक बनी हुई थी । वह बेहोश था ।
" जल्दी , ऑक्सीजन से जोड़े इसे । इसे तुरन्त ये इंजेक्शन दो "
डॉक्टर ने नर्स को एक कागज देते हुए कहा।
" तुरन्त सी० टी० स्कैन मशीन को तैयार करो इसके सिर का स्कैन करना है । "
डॉक्टर ने दूसरी नर्स को इशारा करते हुए कहा ।
" सर , इसे इंजेक्शन दे दिया है "
" इसे तुरन्त सी० टी० स्कैन के लिए लेकर जाओ "
आदित्य का सी० टी० स्कैन हुआ तो पता चला कि उसके सिर में ऊंचाई से गिरने के कारण आंतरिक चोट लगी है और दिमाग मे खून के थक्के जम गए है ।
डॉक्टर ने नर्स को दवा लिख कर दी और आई सी यू से बाहर निकल गया ।बाहर निकलते ही आदित्य के पिताजी ने डॉक्टर को रोक लिया । जो गांव से अभी अभी हॉस्पिटल पहुँचे थे ।
" साब , मेरा बेटा कैसा है, वो ठीक तो हो जाएगा ना "
" हाँ बाबुजी आपका बेटा ठीक है और वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा । बस थोड़ा सा अभी सो रहा है "
डॉक्टर ने रोते हुए आदित्य के पिताजी को सांत्वना देते हुए कहा और वहां से दूसरे मरीजो को देखने के लिए दूसरे वार्ड में चले गये ।
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" यार ठाकुर , मुझे समझ नही आ रहा की कोई लड़का वो भी कॉलेज में पढ़ने वाला 1 महीने से किसी से भी बात नही करता "
" ऐसा कैसे हो सकता है, सर "
" मुझे भी समझ नही आ रहा कोई लड़की का चक्कर भी नही है क्या या ये इतना शरीफ है ? तुम्हरी कितनी गर्लफ्रेंड्स थी कॉलेज में ठाकुर "
" सर मेरी तो हर महीने एक नई गर्लफ्रैंड होती थी "
" जब तुम जैसे शरीफ की ये हालत थी तो इसकी तो पता नही कितनी होनी चाहिए । जो पढ़ने में भी अच्छा है और मिलनसार भी । ये बात मुझे परेशान कर रही है । मुझे वहां के सीसीटीवी फुटेज दिखाओ । "
हवलदार ठाकुर और इंस्पेक्टर सन्तोष में आपस मजाकिया बाते करते हुए सीसीटीवी फुटेज चला कर देखने लगे ।
" ये किस से बात कर रहा है । इसकी कॉल डिटेल्स के अनुसार इसने एक महीने से किसी से बात नही की और ये तो दो घण्टे से फोन पर बात कर रहा है । शायद इसके पास कोई दूसरा नंबर है "
" सर इसके पास कोई दूसरा मोबाइल या नंबर नही है। मैंने अच्छे से जांच की है । "
" फिर क्या ये किसी भूत से बात कर रहा है ??"
इंस्पेक्टर ने खीझते हुए कहा
" पिछले दो दिन से हमे कुछ नही मिला है और वो लड़का भी होश में नही आया । पता करो उस लड़के को कब तक होश आएगा । अब वो ही हमे कुछ बता सकता है कि उसके साथ ऐसा किसने किया ।
इंस्पेक्टर ने हवलदार से कहा ।
" सर लड़के को होश आगया है " ठाकुर ने खुशखबरी दी ।
" चलो जल्दी करो , गाड़ी निकालो " ठाकुर और सन्तोष तेज कदमो के साथ अपने ऑफिस से निकल गए ।
०००००
" मैं हूँ इंस्पेक्टर सन्तोष और ये है हवलदार ठाकुर । हमे बताओ तुम्हारे साथ ऐसा किसने किया । "
" मुझे नही पता , मैं नही जानता सर"
" अगर तुम हमे सच नही बताओगे तो हम तुम्हारे साथ ऐसा करने वाले को कैसे पकड़ेंगे और अगर उसने किसी और के साथ भी ऐसा कर दिया तो ?? "
" मैंने कहा ना ,मैं कुछ नही जानता । मुझे कुछ नही पता । "
" अगर तुम्हें नही पता तो फिर तुम पूरी - पूरी रात किससे बाते करते हो । जबकि तुम्हारी कॉल डिटेल्स में ऐसा कुछ भी नही है। अगर तुम्हें कुछ नही पता तो तुम रोज छत पर किसके साथ जाते हो ?? लगता है तुम किसी मुजरिम को बचा रहे हो या तुम भी किसी साजिस में शामिल हो ? अगर तुमने नही बताया तो मुझे अच्छे से पूछना आता है , मैंने ऐसे कई मुजरिम देखे है अपनी ड्यूटी के दौरान "
इंस्पेक्टर ने चिल्लाते हुए कहा
इंस्पेक्टर के चिल्लाने के कारण आदित्य डर गया और रोने लगा।
" मैं आपको सब - कुछ सच - सच बताऊंगा लेकिन आप उस पर विश्वास नही करोगे। "
" नही , ऐसा नही है । मैं तुम्हे विश्वास दिलाता हूं मैं तुम्हारी हर बात का विश्वास करूँगा । लेकिन तुम हमे सब सच सच बताना "
इंस्पेक्टर सन्तोष ने आदित्य को विश्वास दिलाया ।
" मेरे साथ ऐसा किसी ने नही किया । मैंने ही ऐसा किया है ।एक भूत को बचाने के लिए । " आदित्य ने रोते हुए कहा।
" क्या कह रहे हो तुम , पागल तो नही हो गए !!!!! " इंस्पेक्टर सन्तोष ने आश्चर्य से पूछा ।
" मैंने पहले ही कहा था आपको की आप मेरी बातों का विश्वास नही करेंगे । "
" ओके.... ओके.... !!! मुझे पूरी बात बताओ । मैं विश्वास कर रहा हूँ " इंस्पेक्टर ने फिर एक बार विश्वास दिलाते हुए कहा ।
" एक साल पहले जब मैं होस्टल आया था तब मुझे मेरे होस्टल के बाहर एक लड़की मिली थी । जिसका नाम साक्षी था । जिसे देखते ही मैं पागल हो गया था और मन ही मन उसे चाहने लगा था। लेकिन मैं उसे कुछ भी नही बोल पाया क्योकि वो अचानक से गायब हो गयी । मुझे लगा कि इतनी भीड़ में कही इधर - उधर चली गई होगी । उस दिन के बाद वो मुझे कहि नही मिली और मैं रोज पागलो की तरह उसे ढूंढता रहता था।
एक रात मेरी नींद किसी के रोने से खुली । मैंने कमरे में अपने दोस्तों की तरफ देखा लेकिन सब गहरी नींद में सो रहे थे। मुझे लगा कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ । मैं वापस सो गया ।लेकिन फिर वही रोने की आवाज सुन कर मैं उठ गया ।कौन रो रहा है देखने के लिए कमरे से बाहर आगया ।
मैंने देखा कि कोई लड़की होस्टल के गेट के पास बैठ कर रो रही है । मैंने पास जाकर देखा तो वही लड़की थी जिसे मैंने पहले दिन देखा था । मैं उसके पास गया और पूछा
" क्यो रो रही हो तुम और इतनी रात को यहाँ क्यो बैठी हो , अपने घर नही गयी तुम ??"
" मेरा कोई घर नही है। मेरे माता पिता इस दुनिया मे नही है । मैं इस ददुनियां मे अकेली ही हूँ ।"
" मुझे माफ़ करना मुझे नही पता था "
" तुमने खाना खाया ?? "
" नही "
" चलो मेरे कमरे में ओर खाना खा कर आराम कर लो "
" ठीक है , मुझे भूख भी लगी है "
उस रात के बाद मैं और वो रोज मिलने लगे थे । एक दिन उसने बताया कि उसने अपना बिजनेस शुरू किया है । लेकिन ये नही बताया कि कहा किया है और किसका किया । मैंने भी पूछने की जरूरत नही समझी । मैं तो उसे ओर कुछ पूछना चाहता था । जो मेरे दिल मे दबा हुआ था । रात को हम दोनों मिलते फिर मैं अपने कमरे में चला जाता और वो कहा जाती मुझे कभी पता नही चला । एक दिन मैंने उस से अपने प्रेम का इजहार कर दिया । और उसने भी उसे स्वीकार कर लिया । उसने कहा कि वो तो कब से इस दिन का इंतजार कर रही थी ।
अब हमारे बीच ओर भी ज्यादा नजदीकियां बढ़ने लगी । हम एक दूसरे से बे इंतहा प्यार करने लगे थे । हमारे बीच प्यार की कोई सीमाए नही थी । हम एक दूसरे के साथ पति - पत्नी के जैसे रहते थे।
मेरे घर की आर्थिक हालत खराब थी । एक बार मेरे पास मेरी कॉलेज की फीस भरने के भी रुपए नही थी । पिताजी भी पैसों की कोई व्यवस्था नही कर पाए थे । कॉलेज वालो ने कहा दिया था कि अगर कल तक फीस जमा नही की तो मुझे कॉलेज छोड़ना पड़ेगा । उस दिन जब रात को मैं ओर साक्षी मिले तो मैंने उस से बात नही की । मैं उसे कुछ नही बताना चाहता था । मैं दो बातों के लिए बहुत परेशान था कि एक तो मुझे ये कॉलेज छोड़ना पड़ेगा और दूसरा साक्षी का साथ भी छूट जाएगा । उसने मेरी परेशानी का कारण जानने की कोशिश की लेकिन मैं उसे कुछ नही बताना चाहता था। उसके काफी जोर देने के बाद आखिर मैंने उसे बात दिया कि मुझे पैसों की जरूरत है । अगर पैसों का इंतजाम नही हुआ तो मुझे ये जगह छोड़ कर अपने गांव जाना पड़ेगा ।
" बस इतनी सी बात पर मेरा सोना बाबू परेशान है । ये लो पैसे तुम्हे कहि जाने की जरूरत नहीं है । जब तक तुम्हारी जान तुम्हारे पास है । "
"लेकिन तुम्हारे पास इतने रुपए आये कहाँ से ?? "
" अरे बुद्धू भूल गया क्या मैं बिजनेस करती हूं । बताया था न तुम्हे "
" अरे हाँ मैं भूल गया था । थैंक यू सो मच । मैं आपका ये अहसान कभी नही भूलूंगा ।"
और मैने उसे कस कर गले लगा लिया । अब मैं उसके ओर ज्यादा करीब आगया था। अब मैं उस से ओर भी ज्यादा प्यार करने लगा था । उस दिन के बाद जब भी मुझे पैसों की जरूरत होती थी । वो मेरी सहायता करती थी ।
अब मैं उसी से शादी करने के सपने देखने लगा था। जिस रात को वो नही आती तो उस रात हम दोनों फ़ोन पर बात करते थे।
" उसका नम्बर क्या है जिससे तुम बात करते थे ? " इंस्पेक्टर ने पूछा
" मेरे मोबाइल में नंबर उसने ही सेव किये थे । दो दिन पहले दिन में कॉल करने के लिए मैंने अपने मोबाइल में उसके नंबर जैसे ही देखा तो फ़ोन में नाम तो था लेकिन लेकिन नम्बर नही था। मैंने कॉल किया तो नम्बर उपलब्ध नही बता रहा था । इससे पहले मैंने कभी दिन में कॉल नही किया था । मैं परेशान हो गया । मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि जिस से मैं इतने दिनों से बात कर रहा हूँ उसके नंबर ही नही है । फिर मैंने अपनी कॉल डिटेल्स चेक की तो वहाँ भी कोई कॉल नही थी। मैं सोचने लगा कि वो कौन है? मैंने तय किया कि आज रात मैं उस से इस बारे में बात करके ही रहूंगा।
उस रात जब मैंने उससे इस बारे मे बात की तो उसने बताया कि - " मैं काफी दिनों से तुम्हे बताने की कोशिश कर रही थी लेकिन हिम्मत नही जुटा पा रही थी । चलो आज सब कुछ बता ही देती हूं । हम होस्टल की छत ऑयर चलते है । "
मैं ओर वो छत पर चले गए तो उसने बताया
" मैं एक भूत हूँ । लेकिन डरो मत मैं तुम्हे कुछ नही करूंगी क्योकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं । मेरी तन्हाइयो के एक तुम ही सहारा हो । मैं जानती हूं कि तुम मुझ से शादी करना चाहते हो लेकिन ये सम्भव नही है । मैं सिर्फ तुम्हे दिखती हूँ और किसी को नही । तुम ये भी जानना चाहोगे की मैं भूत कैसे बनी ? वो भी मैं तुम्हे बिना पूछे ही बता देती हूं । मैं इसी कॉलेज में पढ़ती थी । इसी कॉलेज के एक लड़के समीर से मैं बहुत प्यार करती थी । लेकिन उसने एक दिन मेरी इसी छत पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर इज्जत लूट ली और मैंने यही से कूद कर आत्महत्या कर ली थी । वो मंत्री का बेटा था । पुलिस ने मामले को दबा दिया और वो गुनहगार बच गया। तब से मैं यही भटकती रहती हूं । शायद कोई ऐसा मिले जिसे मैं अपनी आप बीती सुनाऊ ओर वो मेरी बातों पर विश्वास करके । मुझे इंसाफ दिलाए"
इतना कह कर उसने फिर से छत से छलांग लगा दी । मैं उसे बचाने के लिए उसके पीछे - पीछे छत से कूद गया।
इंस्पेक्टर सोच रहा था कि क्या कोई भूत भी प्यार कर सकता है ??? क्या कोई भूत भी इंसाफ मांग सकता है ??
०००००
" ठाकुर , क्या इस कॉलेज में कोई बलात्कार का केस आया था कभी ?? "
" हाँ सर , आया था वो अपने गृहमंत्री के बेटे का केस था । जिसकी फ़ाइल बिना सबूतों के और राजनीति के कारण कुछ ही समय बाद बंद कर दी गयी थी। "
" उस केस को दोबारा खोलो । जितने भी सस्पेक्टेड थे उन सब को वापस उठाओ ।"
" जी सर "
इंस्पेक्टर और हवलदार की बाते सुनकर आदित्य और साक्षी अपनी जीत पर मुस्कुरा रहे थे।
०००००
कुछ समय बाद इंस्पेक्टर की ईमानदारी और इच्छाशक्ति के कारण मंत्री के बेटे और उसके साथियों को मौत की सजा कोर्ट ने सुनाई ।
।।।सत्य परेशान हो सकता है छुप नही सकता ।।।
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