क्या था उन सपनों का राज जो डरा देते थे किसी को , पढ़िए सपनो का राज जानने के लिए मजेदार कहानी


" नहीईईईईईईई " एक तेज चीख के साथ अचानक से कविता की आंखे खुल गयी।  पास में ही मैं सो रहा था कविता की चीख सुनकर मेरी नींद भी खुल गयी ।

" तुम ठीक हो कविता ...?" कविता के कंधों पर हाथ रखते हुए मैंने पूछा ।

मुझे जगा हुआ देख कर कविता मेरे गले लग कर रोने लगे गई।

"जान रो क्यो रहे हो , चुप हो जाओ .... । बताओ क्या बात है ..। कोई बुरा सपना देखा क्या ...? "

" हम्ममम्म" कविता ने रोते हुए कहा , कविता का रोना कम ही नही हो रहा था ।

" जान चुप हो जाओ । मेरा जानू बाबू इतना कमजोर नही हो सकता !!  , अगर तुम चुप नही हुई तो मैं भी रोने लगे जाऊंगा देख लेना।  "

मेरे इतना कहते ही कविता ने चुप होने की बजाय रोना और भी तेज कर दिया और मुझे कस कर पकड़ लिया । कविता ने मुझे इतना तेज कस कर पकड़ लिया कि मुझे श्वास लेने में भी परेशानी होने लगी। कविता के इस तरह के व्यवहार ने मुझे भी डरा दिया।

मैंने किसी प्रकार कविता को चुप करवाया , रात के 3 बज चुके थे।

" मेरी जान को मैं अपनी बाहों में लेकर सोऊंगा । अब डरने की कोई बात नही है , मैं तुम्हारे साथ हूँ ना । हम कल सुबह इस सपने के बारे में बात करेंगे। "

मैंने कविता को अपनी बाहों में लेकर सुला लिया लेकिन अब मेरी नींद उड़ चुकी थी मुझे नींद नही आरही थी । अभी भी , सो चुकी कविता ने मुझे कस कर पकड़ रखा था , जैसे कि मैं उसकी कोई सुरक्षा ढाल हूँ या मुझे कोई खतरा हो ।

कब सूरज की पहली किरण खिड़की की दहलीज लांग कर अंदर प्रवेश कर चुकी पता ही नही चला । घर के बाहर लगे नीम के पेड़ पर बैठे पक्षियों की मधुर चहचाहट तो कब की शुरू हो चुकी थी।  पक्षियों का चहचहाना मुझे बहुत पसन्द था इसलिए मैंने जब ये मकान बनाना शुरू किया था तब ही ये नीम का पौधा लगाया था जो आज एक शीतल छाया और बहुत सारे पक्षियों का घर बन गया था लेकिन आज मुझे इन पक्षियों का चहचहाना किसी मधुर संगीत की बजाय नीम के रस जैसा कड़वा लग रहा था।

सुबह के 7 बज चुके थे लेकिन कविता अब भी सो ही रही थी । आज रविवार था तो मुझे ऑफिस भी नही जाना था । कविता अब भी मुझे कसकर पकड़ कर सोई हुई थी इसलिए मैं उसे अभी जगाना भी नही चाहता था ।

7.30 बजे कविता की नींद खुली तो देखा कि सूरज काफी ऊपर आ चुका था ।

" रवि तुमने मुझे जगाया क्यो नही ...? कितनी देर हो गयी आज तो ..? "

" कोई बात नही कविता आज कौनसा काम है आज तो रविवार है तो आज छुट्टी है । "

" हम्ममम्म , मुझे तो याद ही नही था कि आज रविवार है "

अब कविता का मूड अच्छा लग रहा था । उसके दिमाग से वह डरावना सपना भी निकल गया होगा ये सोचकर मैंने रात की बात नही छेड़ी ।

पूरा दिन अच्छे से हंसी मजाक में निकल गया ।

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" क्या हुआ कविता क्या आज फिर कोई डरावना सपना देख लिया तुमने ? "

" तुम ठीक तो हो ना रवि ? "

" हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ तुम्हारे सामने ही तो हूँ एक दम बढ़िया  "

" तुम मुझे कभी अकेला छोड़ कर मत चले जाना रवि "

" क्या तुम पागल हो गयी हो कविता ? क्या बहकी - बहकी बातें कर रही हो !! मुझे बताओ ऐसा क्या देखा तुमने सपने में ? क्या कोई ज्यादा ही बुरा सपना देख लिया तुमने ?"

" हाँ बुरा सपना देखा , बुरा नही बहुत बुरा सपना देखा । इतना बुरा सपना की मैं आंखे खुलने के बाद और ये जानते हुए की तुम मेरे पास हो फिर भी मेरे दिल से उस सपने का डर नही निकल पा रहा "

" क्या मेरी मौत......... ? " कविता ने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख कर आगे के शब्दो को मेरे मुंह से बाहर ही नही आने दिया ।

" दोबारा ऐसी बात मत करना रवि । एक तो मैं पहले से ही घबराई हुई हूँ ऊपर से तुम और मेरी जान निकाल दो "

" अरे नही बोलूंगा बाबा आगे से पक्का नही बोलूंगा । अब बताओ क्या देखा था तुमने सपने में ? "

" एक मोटरसाइकिल पर पति - पत्नी अपनी छोटी बच्ची के साथ जा रहे थे अचानक पीछे से एक तेज रफ्तार से आती कार ने उस मोटरसाइकिल को बुरी तरह से टक्कर मार दी जिससे पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई लेकिन बच्ची और उसके पिताजी बच गए लेकिन उस कार के पीछे भी एक कार आ रही थी जो बच्ची और उसके पिता को रौंदते हुए निकल गयी  "

" कोई ना ऐसा कुछ नही है तुम सो जाओ ये सपना है हकीकत नही "

कविता सो चुकी थी । अब ऐसे सपने रोज की बात हो गयी थी । मैं मन ही मन सो सोच रहा था कि मुझे कविता को एक बार डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि अभी एक महीने पहले ही कविता की आंखों का ऑपरेशन हुआ था तो उसे किसी और कि आंखे लगाई गई थी ।

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" डॉक्टर कुछ दिनों से कविता को रोज - रोज  डरावने सपने आने लगे है , कहि ये सब ऑपरेशन की वजह से तो नही है । "

" नही रवि ऐसा नही होता "

" फिर भी आप एक बार जांच तो कर लीजिए ताकि मुझे तसल्ली हो जाये "

" आप कह रहे है तो मैं इनकी जांच कर लेता हूँ बाकी ऐसा कुछ नही होता "

" धन्यवाद डॉक्टर "

डॉक्टर ने कविता की जांच की लेकिन कविता हर तरीके से स्वस्थ थी और उसकी आंखें भी ठीक तरीके से काम कर रही थी ।

" एक अंतिम सवाल पूछ सकता हूँ डॉक्टर "

" जी "

" क्या आप मुझे बता सकते है कि कविता को जो आंखे लगाई गई है वो किसकी है और उसकी मौत कैसे हुई ? "

" नही रवि मैं आपको ये जानकारी नही दे सकता, क्योकि ऐसी जानकारी नही दी जाती है "

" आप मेरी परेशानी को समझिए । मुझे बता दीजिए ये किसकी आंखे है और उसकी मौत कैसे हुई थी । मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं इसे सिर्फ एक राज ही रखूंगा "

" ठीक है मैं आपको इसके बारे में बता देता हूँ लेकिन ध्यान रहे आप इस बारे में किसी से चर्चा नही करेंगे , लेकिन आप ये जानकारी क्यो लेना चाहते है ? "

" मैं जानना चाहता हूं कि कही ये आंखे उस व्यक्ति की तो नही है जिसने सड़क दुर्घटना में अपने परिवार को खोया हो और उनकी एक छोटी बच्ची भी हो "

" लो ये रही उस व्यक्ति की फ़ाइल जिसकी आंखे आपकी पत्नी को लगाई गई है "

मैंने उस फ़ाइल को पढ़ना शुरू किया तो मुझे सारा माजरा समझ आ गया की कविता को ऐसा ही सपना बार - बार क्यो आता है क्योंकि ये आंखे किसी कमल नाम के व्यक्ति की थी जिसकी मौत मोटरसाइकिल से घर जाते समय हो गयी थी।  उसके साथ उसका परिवार भी था और उनके एक छोटी बच्ची भी थी जिसकी मृत्यु भी उस सड़क दुर्घटना में हुई थी।

मुझे समझ आ गया था कि इन आँखों ने मौत देखी है ।

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आज कविता की आंखों का ऑपरेशन है उसे किसी और कि आंखे लगाई जा रही है।


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